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ओ मेरे प्यारे नंद दुलारे, सुरत तेरी दिखा रे,
एक दीन खड़ा तेरे द्वारे।। टेर ।।
तुम बिनु मेरा और न कोई, छूटे बंधन सारे।
क्यों इतनी अब देर भई है, आओ कृष्ण मुरारे।। 1 ।।
जो ग्यान वैराग्य भक्ति कछु, साधन नहीं हमारे।
एक तिहारो बड़ौ भरौसो, जीवित तौर सहारे।। 2 ।।
तव दरसन की प्यास लगी है, आकर बेगि बुझा रे।
श्यामसखा अब कहा करूँ मैं, तूँ ही मोहि बता रें।। 3 ।।