(18)
कबहूँ मिलोगे दीनानाथ हमारे।
कबहूँ मिलोगे राम, कबहूँ मिलोगे श्याम कबहूँ मिलोगे चितचोर हमारे।। टेर ।।
जैसे मिले प्रहलाद भगत को, खम्भ फाड़़ हिरणाकुश मारे।। 1 ।।
जैसे मिले प्रभु बलिराजा को, चार मास द्वारे पर ठाढ़े।। 2 ।।
जैसे मिले प्रभु जनक सुता को, तोड़ा है धनुष भूप सब हारे।। 3 ।।
जैसे मिले प्रभु भक्त विभीषण, लंका जारि निसाचार मारे।। 4 ।।
जैसे मिले प्रभु द्रुपद सुता को, खैंचत चीर दुःशासन हारे।। 5 ।।
जैसे मिले प्रभु नरसीभगत को, भात भरन हरि आप पधारे।। 6 ।।
जैसे मिले प्रभु मीराँबाई को जहर का प्यालो अमृत कर डारे।। 7 ।।
सूरदास को कबहूँ मिलोगे, टप टप टपकत नयन हमारे।। 8 ।।