(17)
आँखड़ली फरूखे म्हारे दिल में जचगी,
म्हारो साँवरियो चितारे म्हांने आवे हिचकी।। टेर ।।
प्यासो है पपैयो डारो बूँद घनकी
बेगा सुणलीज्यो साँवरिया म्हारी पीड़ा मनकी।। 1 ।।
थे तो सब जाणो साँवरा घट-घट की,
डारो थोड़ी सी झलक थाँरे पीले पट की।। 2 ।।
चन्दन केरी चैकी गादी मखमल की,
बेगा आवो कान्हा देरी मत करो पल की।। 3 ।।
माखन मिसरी मेवा धरूं झारी जल की,
जीमो जीमो कान्हा देरी मत करो पल की।। 4 ।।