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कान्हा काहेकूं मारो मोहे काँकरी।। टेर ।।
गाय भैंस थाँरे अबहि भई है, पहले नहीं थी घर बाकरी।। 1 ।।
महल अटारी थाँरे अबहि भये हैं, पहले नहीं थी टूटी छापरी।। 2 ।।
पीत पीताम्बर कान्हा अबहि पहरो, पहले नहीं थी फाटी धाबरी।। 3 ।।
मीरां प्रभु गिरधर नागर, शरणें राखो तो करूँ चाकरी।। 4 ।।