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रे मन चल वृन्दावन धाम, रटेंगे राधे राधे।। टेर ।।
तूँ विषयों में क्यों डोले, क्यों पाप पुन्य को तोले,
सबतें पावन राधा नाम।। 1 ।।
तूँ डगर डगर क्यों भटके, क्यों लोभ मोह में अटके,
कर ले राधा पद विश्राम।। 2 ।।
आशा के फूल खिलेंगे, ताहि श्यामा श्याम मिलेंगे,
हो दिन दैन सुबह अरु शाम।। 3 ।।
जहँ बैठी कीर्ति कुमारी, सँग मोहन रसिक बिहारी
जहां पांव पलोटत श्याम।। 4 ।।