(52)
कहनो मान ले कन्हैया मत हठ पकरे।
हठ पकरे रे मत जिद्द पकरे।। टेर ।।
आव छगन तोहे स्नान कराऊँ।
ओ तो निकट न आवे बालो जल सों डरे।। 1 ।।
दौरि जसोदा झट पकरि लियो है।
याको कंचन चैकी पै लाय धरे।। 2 ।।
जमुना को जल नटखट पर डारौ।
बालो लेत हिचकियाँ स्वास भरे।। 3 ।।
पटकत चरन देत किलकैयाँ
बालो उछर जसोदाजी की गोदी में परे।। 4 ।।
बदन पौछि पट भूषण साजै।
मैया काजर सारै तिलक करे।। 5 ।।
‘श्यामसखा’ धनि धनि री जसोदा।
मैया अलख ब्रह्म तेरे घर बिचरे।। 6 ।।