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ओजी जसोदा लाडला थाँने किण बिध भूलाँ जी राज।
ओजी नंद का लाडला थाँने किण विधि भूलाँ जी राज।। टेर ।।
चीर बढ़ायो द्रोपदी को, राखी सभा बिच लाज।
कोरव दल संहारिया दीनो पाँडू पुतराँ ने राज।। 1 ।।
टेर सुणी गजराज की प्रभु, दौड़्या गरुड़ जी ने छोड़।
भीषम को प्रण राखिया प्रभु अपणी प्रतीग्या तोड़।। 2 ।।
विष को प्यालो भेजीयो राणू राख्यो मेड़तणी सूं बैर।
गट गट मीराँ पी गई वाको इमरत कर दियो जहर।। 3 ।।
करमां भोलीसी जाटणी ज्याँरे, घर आया रणछोड़।
लूखो खीचड़ खाइया प्रभु, कर कर मन में कोड।। 4 ।।