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श्याम झूले हिंडोरा, कुँजन वन में।
कुँजन वन में सखी माधो वन में।। टेर ।।
उमड़-घुमड़ कर आई बदरिया, बिजुरी चमक रही घन में।। 1 ।।
दादुर मौर पपीहा बोले, कोयल सबद करत वन में।। 2 ।।
चहूँ दिसि में हरियाली फूली, ऋतु बरषा के आनन में।। 3 ।।
सत्य के स्वामी बेग पधारो, चित लाग्यो म्हारो चरन में।। 4 ।।