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नयणाँ भीतर काजलियारी रेख कर राखूँ थाँनें
साँवरा जी म्हारा श्याम।। टेर ।।
तिरछा ओर रतनारा चंचल नैण, थाँरी चितवन है
चित-चोरणी जी म्हारा श्याम।। 1 ।।
नासा मोती अधर गुलाबी होट, थाँरी दाँत बतीसी ऊजली जी
म्हारा श्याम।। 2 ।।
गोल कपोल लचित घुँघुरारा केश, चोटी नागणसी शीश पै
जी म्हारा श्याम।। 3 ।।
मौर मुकुट ओर गल वैजन्ती माल, थाँरे कुण्डल झलके कान में
जी म्हारा श्याम।। 4 ।।
भौंह घनुष सी सुन्दर भुजा विशाल, माथे पर तिलक सुहावणूँ,
जी म्हारा श्याम।। 5 ।।
कटि पीताम्बर जरकस जामों अंग पावन में बाजे पैंजणी
जी म्हारा श्याम।। 6 ।।