गोकुल गिरि गोवर्धन मथुरा, बरसानो नँदगाम।
खेलत ग्वाल बाल के सँग में, कृष्ण और बलराम।
ब्रह्मा शंकर इन्द्र देवता, करते दन्ड प्रनाम।। 5 ।।
अंबर पै धरती पै गूँजे, जय राधे श्री राधे।
जल में गूँजे थल में गूँजे, जय राधे श्री राधे।
जमुना की धारा में गूँजे, जय राधे श्री राधे।
लता वृक्ष पत्तों में गूँजे, जय राधे श्री राधे।
पक्षिन की बोली में गूँजे, जय राधे श्री राधे।
ब्रज भूमी का कण कण बोले, जय जय राधेश्याम।। 6 ।।
ब्रज गोपिन के चरनन की रज, उड़कर लागे अंग।
राध माधव के दरशन की, दिल में उठे उमंग।
प्रियतम प्यारी के चरनन में, बढ़े प्रेम निष्काम।। 7 ।।
शेष महेश गनेश पुकारे, जय राधे श्री राधे।
ब्रह्मलोक में ब्रह्म बोले, जय राधे श्री राधे।
उमा शारदा लक्ष्मि बोले, जय राधे श्री राधे।
प्रेमीजन सब मिलकर बोले, जय राधे श्री राधे।
कुंज बिहारी के मन्दिर में, जय जय राधेश्याम।। 8 ।।