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मैंने महँदी रचाई रे, कृष्ण नाम की।
मैंने बिंदियां सजाई रे, कृष्ण नाम की।। टेर ।।
मेरी चुड़ियां पै कृष्ण, मेरी चुनड़ी पै कृष्ण,
मैंने नथली घड़ाई रे, कृष्ण नाम की।। मैंने।। 1 ।।
मेरे नैनों में गोकुल बृन्दावन,
मेरे प्राणों में मोहन मन भावन,
मेरे होठों पै कृष्ण; मेरे हृदय में कृष्ण
मैंने ज्योती जगाई रे, कृष्ण नाम की।। मैंने।। 2 ।।
अब छाया है कृष्ण अंग अंग में,
मेरा तन मन रँगा है कृष्ण रंग में,
मेरा प्रीतम है कृष्ण, मेरा जीवन है कृष्ण,
मैंने माला बनाई रे; कृष्ण नाम की।। मैंने।। 3 ।।