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(तर्ज - बनमें देख्या)
आली जसुमति लाला जायो हे बीर, दरशण करबा म्हे जास्याँ।
म्हारे हरष घणेरो छायो हे बीर, दरशण करबा म्हे जास्याँ।।
हिल मिल मंगल गावो री गुजरियाँ,
आली म्हारे सूरज ऊग्यो है सवायो हे बीर।। 1 ।।
मानिक मोतियन चैक पुरावो,
आली वाँरो लाड कराँ मनचायो हे बीर।। 2 ।।
जग प्रतिपालक बनि आयो बालक,
आली वो तो सन्तन के मन भायो हे बीर।। 3 ।।
अलख निरंजन भयो दुख भंजन,
आली वो तो नन्दजी को कुँवर कहायो हे बीर।। 4 ।।
इन्दरपुरी में बाजत नगारा,
आली वाँरो तिरलोकी में जस छायो हे बीर।। 5 ।।
शिव ब्रह्मा ज्याँरो पार न पावे,
आली ज्यांने वेद पुराणा में गायो हे बीर।। 6 ।।