(139)
श्यामा श्याम सलौनी सूरत को श्रृंगार बसन्ती है।। टेर ।।
मौर मुकुट की लटक बसन्ती, चन्द्रकला की चटक बसन्ती।
मुख मुरली की मटक बसन्ती,
शिर पे पेच श्रवण कुण्डल छबिदार बसन्ती है।। 1 ।।
माथे चन्दन लस्यो बसन्ती, कटि पीताम्बर कस्यो बसन्ती।
मन मोहन मन बस्यो बसन्ती,
गल सोहे वनमाला फूलन हार बसन्ती है।। 2 ।।
कनक कड़ूला हस्त बसन्ती, चाले चाल अलमस्त बसन्ती।
पहिर रहे पोशाक बसन्ती,
रुनक झुनक पग नूपुर की झनकार बसन्ती है।। 3 ।।
संग ग्वाल के टोल बसन्ती, बजे चंग डफ ढोल बसन्ती।
बोल रहे सब बोल बसन्ती,
सब सखियन में राधे जू सरदार बसन्ती है।। 4 ।।
परम प्रेम परसाद बसन्ती, लगे रसीलो स्वाद बसन्ती।
है रहि सब मरजाद बसन्ती,
‘घासीराम’ श्याम श्यामा को नाम बसन्ती है।। 5 ।।