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मोहन म्हाँने प्यारा लागे हे।
सैयाँ हे म्हाँरे च्यार भुजा रा दीनानाथ,
जीकांरी म्हाँने ओल्यूँ आवे हे।
सैयाँ हे म्हाँरी सहस गोप्याँ रा दीनानाथ, जीकांरी.।। टेर ।।
आँरी साँवरी सूरत पर वारी हे,
सैयाँ हे म्हाँरी गल बैजन्ती माल,
मुरली ज्याँरी बाजत प्यारी है।। 1।।
मथुरा सूं अकरूर पधार्या हे,
सैयाँ हे म्हाँरी बाबा नन्दजी री पोल,
मोहन जी ने लेवण आया हे।। 2।।
आँने कुण अकरूर बतावे हे,
सैयाँ हे म्हाँरी है सगला सूं ही क्रूर,
निरमोहीड़ा ने दया नहीं आवे हे।। 3।।
भाई दोन्यू रल मिल जावे हे,
सैयाँ हे म्हाँरी रथड़े में बैठ्या छे आय,
नहीं मुख सूँ बतलावे हे।। 4।।
मोहन बातां समझावे हे,
सैयाँ हे म्हाँरी भूमी रो भार उतार,
आय थाँने दरस दिखावे हे।। 5।।
सखी ललिता जस गावे हे,
सैयाँ हे म्हाँरी भवसागर सौं तार,
अन्त निज धाम पठावे हे।। 6।।