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सनेही साँवरा रे थाँरी मोड़ी पड़ी पिछान।
नन्द का लाडला रे थाँरी मोड़ी पड़ी पिछान।। टेर ।।
उजलो भारत देश है रे थाँरा उजला संत सुजान।
गीता थाँरी ऊजली रे उजला वेद पुरान।। सनेही।। 1 ।।
तीरथ थाँरा उजला रे साँवरा ऊजला देवस्थान।
उजली हिन्दू संस्कृती रे करे सदा कल्यान।। सनेही।। 2 ।।
मारग थाँरा ऊजला रे मोहन जोग भगति अरु ग्यान।
गंगा जमुना ऊजली रे संत करे असनान।। सनेही।। 3 ।।
उजलो थाँरो रूप है रे मोहन उजलो थाँरो नाम।
लीला थांरी ऊजली रे उजलो थांरो धाम।। सनेही।। 4 ।।
शरणें थाँरे आपड़यो रे साँवरा मैं मूरख नादान।
डोरी थाँरे हात में रे अरजुन का रथवान।। सनेही।। 5 ।।