श्री राधा-जन्मोत्सव
तर्ज - रसिया
(102)
भरि गई कीरतजू की गोद, मोद रावल में छायो है।
मोद रावल में छायो है, मोद बरसाने में छायो है।। टेर ।।
प्रगटी कीरत नन्दिनि राधा, उमड़यो जग में प्रेम अगाधा,
मिट गई सब भक्तन की बाधा, राधा, बिना श्याम है आधा,
कृष्ण प्रेम की ध्वजा फरूखे, रस बरसायो है।। 1 ।।
हिल मिल कर आई बृज-नारी, तन पै पहन कसूमल सारी।
लिये आरती मंगल थारी, होत निछावर रूप निहारी।
ब्रज की शोभा देख आज सुरपति ललचायो है।। 2 ।।
लक्ष्मी सची शारदा गौरी, आई सब रावल में दौरी।
दधि माखन की लिये कमौरी लख न सकी ब्रज बनिता भोरी।
लाली की छवि निरख निरख, हियरो हुलसायो है।। 3 ।।
भानु भवन की शोभा राचे जय जय श्री राधे धुनि माचे।
ब्रह्मा वेद अस्तुति बाँचे, महादेव गोपी बन नाचे।
चित्रसेन गन्धर्व भाट बनकर, जस गायो है।। 4 ।।
सनकादिक नारद ऋषि आवे रासेश्वरि के दर्शन पावे।
कहि कहि अद्भुत मरम जनावे, नभ में देव पुष्प् बरषावे।
स्थावर जंगम सब प्रानिन्ह को, भाग्य जगायो है।। 5 ।।