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परसूँ परसूँ श्याम कह गये, कब आवे बैरन परसूँ।। टेर ।।
बिजुरी चमके डर मोहि लागे, घन गरजे बरसूँ बरसूँ।। 1।।
चित चाहत उड़ि जाय मिलूँ मैं, उड्यो न जाय बिना परसूँ।। 2।।
पापी पपिहरा मोहि सतावे तुम बिन बिषड़ो खाय मरसूँ।। 3।।
‘मीराँ’ कहे प्रभु गिरधर नागर, दरसन खातर मैं तरसूँ।। 4।।