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आरती कृष्ण कन्हैया की अधर धर मुरलि बजैया की।। टेर ।।
नाथ मथुरा में जनम लिया, नंद घर मँगलाचार कियो।
यशोदा गोद खिलैया की।। आ. ।। 1 ।।
कृष्ण ने कंस असुर मार्यो, श्याम ने भूमि भार टार्यो।
सहज में नाग नथैया की।। आ. ।। 2 ।।
कृष्ण तुम अर्जुन के प्यारे, श्याम भक्तन के रखवारे।
यमुना तट रास रचैया की।। आ. ।। 3 ।।
कृष्ण तुम यशुदा के छैया, नाथ बलदाऊ के भैया।
मोहन वन गाय चरैया की।। आ. ।। 4 ।।