नाग-लीला
(226)
नागिन - कौन दिसा से आयो रे बालक, कहा तिहारो नाम है।
कौन सखी के पुत्र कहियत, कहाँ तिहारो गाँव है।
कृष्ण - पूर्व दिसा से आयो री नागिन, गोकुल हमरो गाँव है।
मात यशोदा पिता नँदजू, कृष्ण हमारो नाम है।
नागिन - कहँ बालक तूँ डगर भूल्यो, के घर नारि रिसाइयाँ।
के तेरे मन कछु क्रोध उपज्यो, के बैरिन भरमाइयाँ।
कृष्ण - ना नागिन मैं डगर भूल्यो, ना घर नारि रिसाइयाँ।
ना मेरे मन कछु क्रोध उपज्यो, ना बैरिन भरमाइयाँ।
नागिन - ले जा रे गल हार माला, सवा लख की बोरियाँ।
याहि लै घर जाओ रे बालक नाग सों दऊँ चोरियाँ।
कृष्ण - कहा करूँ गल हार माला, सवा लख की बोरियाँ।
वृन्दावन में गढयो हिंडोलो तेरे नाग की करूँ डोरियाँ।
नागिन - प्रभु के सनमुख कहत नागिन, जाओ रे बालक भाजि कै।
तेरो रूप देख दया जो उपजे, नाग मारे जागि कै।
कृष्ण - भाजूं तो कुल के दाग लागे, अब भाजे कैसे बने।
होनी होय सो होय नागिन, नाग तो नाथे बने।
समाजी - चैसट चोंप मरोर नागिन नाग जाइ जगाइया।
उठो हो बलवंत जोधा, बालक जूझन आइया।