(155) तर्ज - ओल्यूँड़ी
ओ जी म्हारा नटवर नागरिया,
क्यूँ प्रीतड़ली लगा कर पाछा चाल्या जी, साँवरा।। टेर ।।
थाँरी तो ओल्यूँ गिरधर म्हे कराँ,
प्रभु थाँ बिन म्हारो जिवड़ो नहीं लागे जी, साँवरा।। 1 ।।
थाँसूं तो बिनती गिरधर म्हे कराँ,
थे गोकुल तज मथुरा क्याँ ने जावो जी, साँवरा।। 2 ।।
एक घड़ी तो ठहरो साँवरिया,
थाँरी गोप्याँ सागली थाँ बिन व्याकुल होवे जी साँवरा।। 3।।