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सखि अपनो श्याम खोटो, कोई दोष नहीं कुबजा कूँ हे।। टेर ।।
नव लख धेनू नन्द घर दूझे, माखन को कांई टोटो हे।। 1 ।।
आप तो जाय द्वारिका छाये, ले समँदर को ओटो हे।। 2 ।।
कुबजा दासी कंसराय की वो नन्दजी को ढोटो।। 3 ।।
‘चन्द्रसखी’ भजु बालकृष्ण छवि, कुबजा बड़ी हरि छोटो।। 4 ।।