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जय बोलो जसोदा नन्दन की।
नन्दन की जग बन्दन की।। जय।। टेर ।।
भाल बिशाल माल मोतियन की,
खौर बिराजत चन्दन की।। 1 ।।
मोर मुकुट कटि काछनि राजै,
भक्त बछल भव भञ्जन की।। 2 ।।
घन्टा ताल पखावज बाजे,
भीर भई सब सन्तन की।। 3 ।।
ले बसुदेव चले गोकुलको,
बेड़ी कट गई फन्दन की।। 4 ।।
चन्द्रसखी भजु बालकृष्ण छबि,
चरण कमल रज बन्दन की।। 5 ।।