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मोहन मोटो रे भगताँ रो भीड़ी भाँगे टोटो रे।। टेर ।।
कुल को देव सकल को दाता, नन्द घर बन गयो छोटो रे।
चोर चोर हरि माखन खावे ओ गुण मोटो रे।। 1 ।।
बलि के द्वारे जाचन चाल्यो, बने तो बनगयो छोटो रे।
तीन पाँवड़ा जीम माँग कर, बन गयो मोटो रे।। 2 ।।
कालिन्दी में कूद पड्या है, दियो दड़ी को दोटो रे।
मथुरा जी में मामू मार्यो, पकड़्यो चोटो रे।। 3 ।।
बन में ऋषि पतन्या नें जाची, माँगर खायो रोटो रे।
‘चन्द्रसखी’ भज बालकृष्ण, चरणाँ में लोटो रे।। 4 ।।