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वृन्दावन श्याम खेलता होरी।
नन्द नन्दन बृषभान किशोरी, करत फिरत होरी होरी।। 1 ।।
ताल मृदंग झाँझ डफ बाजत, निरत करत नव नव गोरी।। 2 ।।
उमँग उमँग सखियन के सँग में, अबिर गुलाल भरी झोरी।। 3 ।।
अद्भुत रूप दिखाय सखिन्ह को, अंतरधान भये दौरी।। 4 ।।
वृन्दावन की कुन्ज गलिन में, ढ़ूँढ़त है राधे गोरी।। 5 ।।
वृन्दावन हित रूप माधुरी, श्याम लेगयो चित चोरी।। 6 ।।