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प्यारो लागे री श्याम सुन्दरिया।। टेर ।।
कर नवनीत नैन कजरारे, उँगरिन सोहे मुँदरिया।। 1 ।।
दोय-दोय दसन कधर अरुनारे, बोलत बैन तुतरिया।। 2 ।।
पीत झँगुलिया तन पर सोहे, सिर पर केश भँवरिया।। 3 ।।
गोल कपोल नासिका सुन्दर, भाल तिलक मन हरिया।। 4 ।।
घुटुवन चलत नवल तन मण्डित, मुख में मेले उँगरिया।। 5 ।।
देख छबी भई मगन जसोदा, लग नहिं जाय नजरिया।। 6 ।।
भूख लगी जब ठुनकन लागे, मैया की खेंचे चुनरिया।। 7 ।।
जाको बेद पार नहिं पावे, ताको खिलावे गुजरिया।। 8 ।।
धनि जसुमति धनि धनि बृज नायक, धनि धनि गोप नगरिया।। 9 ।।