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अनुराग पदावली -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग गुण्ड [153] सूरदासजी के शब्दों में श्रीराधा नागरी श्यामसुन्दर से (यह) बात कहती हैं— मस्तक पर मयूर-पिच्छ धारण करने वाले मेरे स्वामी गिरिधारी लाल सुनो! देवता, नाग, मनुष्य सहस्त्रों नामों से तुम्हारा ही जप किया करते हैं। रुद्रों के स्वामी, सभी छोटे जीवों के स्वामी, लोकों के स्वामी, भुवन नायक, पृथ्वी के स्वामी तथा आकाश – (स्वर्गाद-) के स्वामियों की वाणी के लिये भी तुम अगम्य हो। वेद कहते हैं कि तुम्हीं समस्त ब्रम्हाण्डों के नायक, तीनों लोकों के अधिपति, जल के स्वामी तथा वायु के भी स्वामी हो। भला, जो सिंह की शरण में है, उसे सियार का क्या भय। यह बात तो सारा जगत् कहता है कि श्रीकृष्ण और राधा एक (अभिन्न) हैं। मेरे स्वामी श्यामसुन्दर! तुम्हारा नाम करुणाधाम है, अतः मेरी दीनतापूर्ण प्रार्थना सुनकर मेरी मनोकामना पूर्ण करो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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