अनुराग पदावली पृ. 320

अनुराग पदावली -सूरदास

अनुवादक - सुदर्शन सिंह

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राग रामकली

[320]
नैना उनही देखें जीवत ।
सुंदर बदन तड़ाग रूप जल, निरखन पुट भरि पीवत ॥ 1 ॥
राखें रहत, और नहिं पावै, उन्ह मानी परतीति ।
सूर स्याम इन सौं सुख मानत, देखैं इन्ह की प्रीति ॥ 2 ॥

सूरदासजी के शब्दों में एक गोपी कह रही ह-(सखी! मेरे) नेत्र उन – (मोहन-) को देखकर ही जीते हैं; वे (उनके) सुन्दर मुख (रूपी) सरोवर के सौन्दर्य (रूपी) जल को देखने की क्रिया (रूपी) दोने में भरकर पीते हैं। (अपने पास ही) रखे रहते हैं, दूसरा कोई नहीं पाता; उन – (श्याम-) ने भी इनका विश्वास मान लिया है। (मेरे) इन नेत्रों की प्रीति देखकर श्यामसुन्दर इनसे सुख मानते (प्रसन्न रहते) हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

अनुराग पदावली
क्रम संख्या पद पद संख्या
1. अँखियन ऐसी धरनि धरी 341
2. अँखियन की सुधि भूलि गईं 347
3. अँखियन तब तैं बैर धर्यो 343
4. अँखियन तैं री स्याम कौं 346
5. अँखियन यहई टेव परी 338
6. अँखियन स्याम अपनी करीं 342
7. अँखियाँ जानि अजान भईं 73
8. अँखियाँ निरखि स्याम मुख भूली 339
9. अँखियाँ हरि के हाथ बिकानीं 340
10. अति रस लंपट नैन भए 313
11. अब कैसें दूजे हाथ बिकाऊँ 71
12. अब तौ प्रगट भई जग जानी 47
13. अब मैंहूँ इहिं टेक परी 332
14. अब समझी यह निठुर बिधाता 88
15. आँखिन मैं बसै, जिय मैं बसै 140
16. आज के द्दौस कौं सखी 96
17. आपस्वारथी की गति नाहीं 165
18. आवतहीं याके ये ढंग 348
19. इन्ह नैनन की कथा सुनावैं 195
20. अँखियन की सुधि भूलि गईं 298
21. इन्ह नैनन सौं मानी हारि 343
22. इन्ह नैनन सौं री सखी 324
23. इन्ह बातन कहुँ होति बड़ाई 180
24. इन नैनन मोहिं बहुत सतायौ 184
25. इनहू मैं घटताई कीन्ही 97
26. एक गाउँ को बास धीरज 55
27. ऐसे आपस्वारथी नैन 205
28. ऐसे निठुर नाहिं जग कोई 283
29. ऐसे बस्य न काहुहि कोऊ 220
30. कपट कन दरस खग नैन मेरे 211
31. कपटी नैनन तैं कोउ नाहीं 273
32. कब की मह्यौ लिऐं सिर 64
33. कब री मिले स्याम नहिं जानौं 98
34. कबहुँ कबहुँ आवत ये, मोहि 291
35. करन दै लोगन कौं उपहास 54
36. कहति नंद घर मोहि बतावौ 38
37. कहा करैगौ कोऊ मेरौ 48
38. कहा करौं बिधि हाथ नहीं 87
39. कहा करौं, मन हाथ नहीं 45
40. कहा कहति तू मोहि री माई 41
41. कहा भए जो ऐसे लोचन 179
42. कहा भयौ जौ आपस्वारथी 274
43. कहाँ लगि अलकैं दैहौं ओट 104
44. का काहू कौं दोष लगावैं 78
45. कान्ह माखन खाहु, हम सु देखैं 9
46. कियौ यह भेद मन, और 178
47. कुल की कानि कहाँ लगि करिहौं 149
48. कुल की लाज अकाज कियौ 147
49. को इन्ह की परतीति बखाने 280
50. को जानै हरि कहा कियौ री 102
51. कोउ माई लैहै री गोपालै 32
52. क्यौं सुरझाऊँ नंद लाल सौं 118
53. 'गन गंधर्ब देखि सिहात 15
54. गोपिका अति आनंद भरी 11
55. गोपिनि हेत माखन खात 13
56. गोपी कहतिं धन्य हम नारी 14
57. गोपी स्याम रंग राँची 131
58. (माई री) गोबिंद सौं प्रीति 50
59. गोरस कौ निज नाम भुलायौ 30
60. गोरस लेहु री कोउ आइ 19
61. ग्वालिन फिरत बिहाल सौं 31
62. ग्वालिनी प्रगट्यों पूरन नेहु 33
63. चक्रित भईं घोष कुमारि 21
64. चली प्रातहीं गोपिका मटकिनि 28
65. छोटी मटकी मधुर चाल चलि 34
66. जद्यपि नैन भरत ढरि 203
67. जब तैं नैन गए मोहि 255
68. जब तैं प्रीति स्याम सौं कीन्ही 101
69. जब तैं हरि अधिकार दियौ 202
70. जाकी जैसी टेव परी री 299
71. जाकी जैसी बानि परी री 334
72. जातैं पर्यो स्याम घन नाउँ 270
73. जा दिन तैं हरि दृष्टि परे री 100
74. जान देहु गोपाल बुलाई की 1
75. जान दै स्यामसुँदर लौं आज 8
76. जुबति गई, घर नैक न भावत 24
77. जे लोभी ते देहिं कहा री 206
78. जौ देखौं तौ प्रीति करौं री 93
79. जो बिधना अपबस करि पाऊँ 86
80. टरति न टारें छबि मन जु चुभी 105
81. ढीठ भए ये डोलत हैं 192
82. तब तैं नैन रहे इकटकहीं 234
83. तब नागरि मन हरष भई 68
84. तबहीं तैं हरि हाथ बिकानी 99
85. तिन कौं स्याम पत्याने सुनियत 229
86. तुम्ह कैसें दरसन पावति री 154
87. तुम्ह देखे, मैं नाहिं पत्यानी 72
88. तैं मेरें हित कहति सही 59
89. थकित भए मोहन मुख नैन 277
90. दधि बेचति ब्रज गलिनि फिरै 29
91. दधि मटकी सिर लिऐं ग्वालिनी 35
92. देखियत दोउ अहँकार परे 157
93. देखत हरि के रूपै नैना हारें हार 336
94. देखन दै पिय, मदनगुपालै 2
95. देखन दै बृंदाबन चंदै 3
96. देखेहुँ अनदेखे से लागत 156
97. देह धरे कौ कारन सोई 70
98. द्वै लोचन तुम्हरें, द्वै मेरें 75
99. द्वै लोचन साबित नहिं तेऊ 89
100. धन्य धन्य अँखियाँ बड़भागिन 344
101. नख सिख अंग अंग छबि देखत नैना 158
102. नट के बटा भए ये नैन 329
103. नर नारी सब बूझत धाइ 37
104. नागरी स्याम सौं कहति 153
105. नाचत नैन, नचावत लोभ 323
106. ना जानौं तबही तैं मोकौं स्याम 110
107. नाहिं ढीठ, नैनन तैं और 311
108. निस दिन इन्ह नैनन कौं आली 135
109. नैक नाहिं घर सौं मन लागत 26
110. नैन आपने घर के री 182
111. नैन करत घरही की चोरी 315
112. नैन करैं सुख, हम दुख पावैं 194
113. नैन खग स्याम नीकें पढाए 112
114. नैन गए न फिरे री माई 254
115. नैन गए री अति अकुलात 267
116. नैन गए सु फिरे नहिं 332
117. नैनाहिं ढीठ अतिहीं भए 301
118. नैन तौ कहे मैं नाहिं मेरे 187
119. नैन न मेरे हाथ रहे 168
120. नैनन ऐसी बानि परी 288
121. नैनन कठिन बानि पकरी । 281
122. नैनन कोउ समुझावै री 246
123. नैनन कौं अब नाहिं पत्याउँ 197
124. नैनन कौ मत सुनौ सयानी 303
125. नैनन कौं री यहै सुहाइ 335
126. नैनन तैं यह भई बड़ाई 200
127. नैनन दसा करी यह मेरी 279
128. नैनन देखिबे की ठौरि 233
129. नैन निरखि, अजहूँ न फिरे री 231
130. नैनन नींद गई री निसि दिन 137
131. नैनन प्रान चोरि लै दीने 316
132. नैनन बान परी नहिं नीकी 282
133. नैनन भलौ मतौ ठहरायौ 304
134. नैनन यह कुटेव पकरी 263
135. नैनन साधैं नाहिं सिराइँ 307
136. नैनन साधे ही जु रही 306
137. नैनन सिखवत हारि परी 324
138. नैनन सौं झगरौ करिहौं री 257
139. नैनन हरि कौं निठुर कराए 272
140. नैनन हौं समुझाइ रही 289
141. नैन परे रस स्याम सुधा मैं 173
142. नैन परे हरि पाछें री 174
143. नैन भए अधिकारी जाइ 201
144. नैन भए बस मोहन तैं 219
145. नैन भए बोहित के काग 250
146. नैन भए हरिही के 190
147. नैन मिले हरि कौं ढरि भारी 224
148. नैननि तैं हरि आपु स्वारथी 269
149. नैन स्याम सुख लूटत हैं। 265
150. नैन परे बहु लूटि मैं, नोखी निधि 181
151. नैना अटके रूप मैं, पल रहत 261
152. नैना अतिहीं लोभ भरे 204
153. नैना, इहिं ढंग परे, कहा 241
154. नैना उनही देखें जीवत 320
155. नैना ओछे चोर अरी री 238
156. नैना कहें न मानत मेरे 290
157. नैना कह्यौ न मानैं मेरौ 183
158. नैना कह्यौ मानत नाहिं 286
159. नैना खोज परे हैं ऐसे 240
160. नैना घूँघट मैं न समात 68
161. नैना झगरत आइ कैं मोसौं री 302
162. नैना नहिं आवैं तुव पास 172
163. नैना नाहिन कछू बिचारत 321
164. नैना निपट बिकट छबि अटके 260
165. नैना नीके उनहिं रए 171
166. नैना नैनन माँझ समाने 235
167. नैना बहुत भाँति हटके 327
168. नैना बीधे दोऊ मेरे 217
169. नैना भए पराए चेरे 333
170. नैना भए प्रगटहीं चेरे 214
171. नैना भए बजाइ गुलाम 177
172. नैना भरे घर के चोर 207
173. नैना मानत नाहिन बरज्यौ 285
174. नैना मानऽपमान सह्यौ 252
175. नैना मारेहू पै मारत 239
176. नैना मेरे अटके री, माई वा मोहन 222
177. नैना मेरे मिलि चले, इंद्री औ मन 256
178. नैना मोकौं नाहिं पत्याहिं 294
179. नैना रहैं न मेरे हटकें 259
180. नैना लुब्धे रूप कौं अपने 191
181. नैना लौन हरामी ये 223
182. नैना लोभै लोभ भरे 237
183. नैना हरि अंग रूप लुब्धे री माई 175
184. नैना हाथ न मेरे आली 188
185. नैना ऐसे हैं बिसवासी 213
186. नैना हैं री ये बटपारी 228
187. नंद के द्वार नँद गेह बूझे 39
188. नंद कें लाल हर्यौ मन मोर 106
189. नंद नँदन बिन कल न परै 141
190. नंदलाल सौं मेरौ मन मान्यौ, 53
191. परी मेरे नैनन ऐसी बानि 287
192. पलक ओट नहिं होत कन्हाई 27
193. पावै कौन लिखे बिन भाल 76
194. पिय! जिन रोकै, जान दै। 5
195. प्राननाथ हो, मेरी सुरति 150
196. प्रेम सहित हरि तेरें आए 112
197. बहुत भाँति नैना समझाए 328
198. बार बार मोहि कहा सुनावति 42
199. बिकानी हरि मुख की मुसकानि 46
200. बिधनाँ चूक परी मैं जानी 74
201. बिधनाँ यह संगति मोहि दीन्ही 143
202. बीच कियौ कुल लज्जा आइ 146
203. बेचति ही दधि ब्रज की खोरी 36
204. बैठि गईं मटकी सब धरि कें 20
205. ब्रज की खोरिहिं ठाढ़ौ साँवरौ 139
206. ब्रज की खोरिहिं ठाढ़ौ साँवरौ 39
207. ब्रज बसि काके बोल सहौं । 66
208. रजहिं बसें आपुहि बिसरायौ 67
209. भई गई ये नैन न जानत 248
210. भई मन माधौ की अवसेर 65
211. भली करी उन्ह, स्याम 208
212. मन के भेद नैन गए माई 167
213. मन तैं ये अति ढीठ भए 169
214. मन तौ गयौ, नैन हे 161
215. मन तौ हरिही हाथ 160
216. (मेरौ) मन न रहै कान्ह बिना 113
217. मन न रहै सखि! स्याम 136
218. मन बिगर्यो येउ नैन बिगारे 164
219. मन मधुकर पद कमल 82
220. मन मेरौ हरि संग गयौ री 114
221. मन लुबध्यौ हरि रूप निहारि 84
222. मन हरि लीन्हौ कुँवर 111
223. मन हरि लीन्हौं कुँवर कन्हाई 124
224. मन हरि सौं, तन घरहिं 23
225. मनहि बिना का करौं सखी 116
226. माई! कृष्न नाम जब तैं 122
227. माखन की चोरी तैं सीखे 117
228. माखन दधि हरि खात 10
229. मेरे इन्ह नैनन इते करे 278
230. मेरे कहे मैं कोउ नाहिं 44
231. मेरें जिय यहई सोच पर्यो 163
232. मेरे दधि कौ हरि! स्वाद 12
233. मेरे नैन कुरंग भए 218
234. मेरे नैन चकोर भुलाने 243
235. मेरे नैननही सब खोरि 295
236. मेरे नैननही सब दोष 292
237. मेरे नैना अटकि परे 305
238. मेरे नैना दोष भरे 293
239. मेरे नैना ये अति ढीठ 310
240. अनुराग पदावली पृ. 59 59
241. अनुराग पदावली पृ. 277 277
242. मेरे माई! लोभी नैन भए 236
243. मेरौ मन गोपाल 107
244. मेरौ मन तब तैं न फिर्यो 108
245. मेरौ मन हरि चितवनि 57
246. मेरौ माई! माधौ सौं मन मान्यौ 52
247. मैं अपनौ मन हरत 119
248. मैं अपनौ मन हरि 51
249. मैं मन बहुत भाँति समझायौ 115
250. मोतैं नैन गए री ऐसें 330
251. मोहन बदन बिलोकि थकित 276
252. मोहन मुरलि बजाइ रिझाई 138
253. मोहन (माई री) हठ करि 159
254. मोहू तैं वे ढीठ कहावत 258
255. यह कहि मौन साध्वौ 61
256. यह तौ नैननहीं जु 242
257. यह नैनन की टेव परी 253
258. यह सब नैननहीं कौं लागै 296
259. यह सब मैं ही पोच करी 109
260. या घर मैं कोउ है कै नाहीं 17
261. ये अँखियाँ बड़भागिनी, जिन्हि 345
262. ये नैना अतिहीं चपल चोर 314
263. ये नैना अपस्वारथ के 221
264. ये नैना मेरे ढीठ भए री 300
265. ये नैना यौं आहिं हमारे 196
266. ये लोचन लालची भए री 317
267. रति बाढ़ी गोपाल सौं। 4
268. राधा! तैं हरि के रँग राँची 23
269. राधा नँद नंदन अनुरागी 130
270. राधा मोहन सहज सनेही 129
271. राधा स्याम रंग रँगी 145
272. राधा हरि अनुराग भरी 125
273. राधेहि मिलेहुँ प्रतीति न आवति 155
274. रीती मटकी सीस धरैं 18
275. रीती मटकी सीस लै चलिं 16
276. रोम रोम ह्वै नैन गए री 230
277. लहनी करम के पाछैं 79
278. लोक सकुच कुल कानि तजी 25
279. लोचन आइ कहा ह्याँ पावैं 199
280. लोचन गए निदरि कैं मोकौं 170
281. लोचन चोर बाँधे स्याम 209
282. लोचज टेक परे सिसु जैसें 297
283. लोचन भए अतिहीं ढीठ 225
284. लोचन भए परेखू माई 210
285. लोचन भए पराए जाइ 331
286. लोचन भए स्याम के चेरे 185
287. लोचन भए स्यामहि बस, कहा 176
288. लोचन भूलि रहे तहँ जाई 262
289. लोचन भृंग कोस रस पागे 216
290. लोचन मानत नाहिन बोल 319
291. लोचन मेरे भृंग भए री 215
292. लोचन लालच तैं न टरे 245
293. लोचन लालची भारी 312
294. लोचन लोभ ही मैं रहत 318
295. लोचन सपने के भ्रम भूले 309
296. लोभी नैन हैं मेरे 268
297. सखि, मोहि हरि दरस रस प्याइ 49
298. सखी वह गई हरि पैं धाइ 62
299. सखीं सखी सौं धन्य कहैं 128
300. सजनी! नैना गए भगाइ 275
301. सजनी! मनैं अकाज कियौ 162
302. सजनी! मोतैं नैन गए 266
303. सतर होति काहे कौं माई 198
304. सबै हिरानी हरि मुख हेरें 43
305. सिर मटकी, मुख मौन गही 63
306. सुंदर स्याम कमल दल लोचन 148
307. सुंदर स्याम पिया की जोरी 126
308. सुन री सखी, बात एक मेरी 60
309. सुनि री सखी, बचन इक मोसौं 77
310. सुनि री सखी! दसा यह मेरी 95
311. सुनौ सखी, मैं बूझति तुम कौं 81
312. सुनौ सखी! हरि करत न नीकी 121
313. सुनहु स्याम! मेरी इक बात 152
314. सुनौ स्याम! मेरी बिनती 69
315. सुनि सजनी! तू भई अयानी 193
316. सुनि सजनी! मेरी इक बात 85
317. सुनि सजनी! मोसौं इक बात 264
318. सुनि सजनी! ये ऐसे लागत 127
319. सुनि री ग्वारि मुग्ध गँवारि 40
320. सुभट भए डोलत ये नैन 226
321. सेवा इन की बृथा करी 227
322. 'स्याम अंग निरखि नैन कबहूँ न 308
323. स्याम करत हैं मन की चोरी 120
324. स्याम घन ऐसे हैं री माई 271
325. स्याम छबि लोचन भटकि परे 249
326. स्याम जल सुजल ब्रज नारि 132
327. स्याम बिना यह कौन करै 22
328. स्याम रँग रँगे रँगीले नैन 189
329. स्याम रूप देखन की 80
330. स्याम रूप मैं री मन अर्यो 134
331. स्याम रंग नैना राँचे री 322
332. 'स्याम रंग राँची ब्रज 133
333. स्याम सखि! नीकैं देखे 83
334. स्याम सौं काहे की पहचानि 91
335. स्यामै मैं कैसैं पहचानौं 90
336. हम अहीर ब्रजबासी लोग 142
337. हम तैं गए, उनहु 166
338. हरि छबि अंग नट के ख्याल 247
339. हरि छबि देखि नैन ललचाने 186
340. हरि दरसन की साध मुई 94
341. हरि देखन की साध भरी 6
342. हरि देखे बिनु कल न परै 56
343. हरि मुख बिधु, मेरी अँखियाँ 244
344. हरि मेरे आँगन ह्वै जु गए 103
345. हरिहिं मिलत काहे कौं घेरी 7
346. हारि जीति दोऊ सम इन कें 337
347. हारि जीति नैना नहिं जानत 251
348. हों या माया ही लागी, तुम कित 151
349. हौं सँग साँवरे के जैहौं 58
अंतिम पृष्ठ 348

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