विषय सूची
अनुराग पदावली -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग बिलावल [193] सूरदासजी के शब्दों में एक गोपी कह रही ह-सुन सखी! तू तो नासमझ हो गयी है, मैं तो तुझे समझदार समझती थी। सुन! तुझे इस कलियुग की दशा सुनाऊँ। यदि तुम करोड़ों उपकार करो तो भी (इस युग में) उसे कोई मानता नहीं। (किंतु) जो बुरे लोग हैं, उनकी बड़ाई होती है; जिसे लोग मान लें, वही श्रेष्ठ माना जाता है। दूर की बात क्या बताऊँ, प्रत्यक्ष देख ले। श्यामसुन्दर का ध्यान तो हम भी करती हैं; (किंतु) सुनो! हम सब तो व्याकुल (बनी) घूमती हैं और नेत्र तुरंत फल (दर्शन-लाभ) पा लेते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पद | पद संख्या |