श्रीमद्भागवत माहात्म्य तृतीय अध्याय
श्रीमद्भागवत माहात्म्य (प्रथम खण्ड) तृतीय अध्यायः श्लोक 1-15 का हिन्दी अनुवाद
नारदजी कहते हैं—अब मैं भक्ति, ज्ञान और वैराग्य को स्थापित करने के लिये प्रयत्नपूर्वक श्रीशुकदेवजी के के हुए भागवतशास्त्र की कथा द्वारा उज्ज्वल ज्ञानयज्ञ करूँगा। यह यज्ञ मुझे कहाँ करना चाहिये, आप इसके लिये कोई स्थान बता दीजिये। आप लोग वेद के पारगामी हैं, इसलिये मुझे इस शुकशास्त्र की महिमा सुनाइये। यह भी बताइये कि श्रीमद्भागवत की कथा कितने दिनों में सुनानी चाहिये और उसके सुनने की विधि क्या है। सनकादि बोले—आप बड़े विनीत और विवेकी हैं। सुनिये, हम आपको ये सब बातें बताते हैं। हरिद्वार के पास आनन्द नाम का एक घाट है। वहाँ अनेकों ऋषि रहते हैं तथा देवता और सिद्ध लोग भी उसका सेवन करते रहते हैं। भाँति-भाँति के वृक्ष और लताओं के कारण वह बड़ा सघन है और वहाँ बड़ी कोमल नवीन बालू बिछी हुई है। वह घाट बड़ा ही सुरम्य और एकान्त प्रदेश में है, वहाँ हर समय सुनहले कमलों की सुगन्ध आया करती है। उसके आस-पास रहने वाले सिंह, हाथी आदि परस्पर-विरोधी जीवों के चित्त में भी वैर भाव नहीं है। वहाँ आप बिना किसी विशेष प्रयत्न के ही ज्ञानयज्ञ आरम्भ कर दीजिये, उस स्थान पर कथा में अपूर्व रस का उदय होगा। भक्ति भी अपनी आँखों के ही सामने निर्बल और जराजीर्ण अवस्था में पड़े हुए ज्ञान और वैराग्य को साथ लेकर वहाँ आ जायगी। क्योंकि जहाँ भी श्रीमद्भागवत की कथा होती है वहाँ ये भक्ति आदि अपने-आप पहुँच जाते हैं। वहाँ कानों में कथा के शब्द पड़ने से ये तीनों तरुण हो जायँगे। सूतजी कहते हैं—इस प्रकार कहकर नारदजी के साथ सनकादि भी श्रीमद्भागवत कथामृत का पान करने के लिये वहाँ से तुरंत गंगातट चले आये। जिस समय वे तट पर पहुँचे, भूलोक, देवलोक और ब्रह्म्लोक—सभी जगह इस कथा का हल्ला हो गया। जो-जो भगवत्कथा के रसिक विष्णु भक्त थे, वे सभी श्रीमद्भागवतामृत का पान करने के लिये सबसे आगे दौड़-दौड़कर आने लगे। भृगु, वसिष्ठ, च्यवन, गौतम, मेधातिथि, देवल, देवरात, परशुराम, विश्वामित्र, शाकल, मार्कण्डेय, दत्तात्रेय, पिप्पलाद, योगेश्वर व्यास और पराशर, छायाशुक, जाजलि और जह्नु आदि सभी प्रधान-प्रधान मुनिगण अपने-अपने पुत्र, शिष्य और स्त्रियों समेत बड़े प्रेम से वहाँ आये। इनके सिवा वेद, वेदान्त (उपनिषद्), मन्त्र, तन्त्र, सत्रह पुराण और छहों शास्त्र भी मूर्तिमान होकर वहाँ उपस्थित हुए।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज