श्रीमद्भागवत महापुराण द्वादश स्कन्ध अध्याय 1 श्लोक 1-20

द्वादश स्कन्ध: प्रथम अध्याय

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श्रीमद्भागवत महापुराण: द्वादश स्कन्ध: प्रथम अध्याय श्लोक 1-20 का हिन्दी अनुवाद


कलियुग के राजवंशों का वर्णन

राजा परीक्षित ने पूछा- भगवन्! यदुवंशशिरोमणि भगवान श्रीकृष्ण जब अपने परमधाम पधार गये, तब पृथ्वी पर किस वंश का राज्य हुआ? तथा अब किसका राज्य होगा? आप कृपा करके मुझे यह बतलाइये।

श्रीशुकदेव जी कहते हैं- प्रिय परीक्षित! मैंने तुम्हें नवें स्कन्ध में यह बात बतलायी थी कि जरासन्ध के पिता वृहद्रथ के वंश में अन्तिम राजा होगा पुरंजय या रिपुंजय। उसके मन्त्री का नाम होगा शुनक। वह अपने स्वामी को मार डालेगा और अपने पुत्र प्रद्योत को राजसिंहासन पर अभिषिक्त करेगा। प्रद्योत का पुत्र होगा पालक, पालक का विशाखयूप, विशाखयूप का राजक और राजक का पुत्र होगा नन्दिवर्द्धन। प्रद्योत-वंश में यही पाँच नरपति होंगे। इनकी संज्ञा होगी ‘प्रद्योतन’। ये एक सौ अड़तीस वर्ष तक पृथ्वी का उपभोग करेंगे। इसके पश्चात् शिशुनाग नाम का राजा होगा। शिशुनाग का काकवर्ण, उसका क्षेमधर्मा और क्षेमधर्मा का पुत्र होगा क्षेत्रज। क्षेत्रज का विधिसार, उसका अजातशत्रु, फिर दर्भक और दर्भक का पुत्र अजय होगा। अजय से नन्दिवर्द्धन और उससे महानन्दि का जन्म होगा। शिशुनाग-वंश में ये दस राजा होंगे। ये सब मिलकर कलियुग में तीन सौ साठ वर्ष तक पृथ्वी पर राज्य करेंगे।

प्रिय परीक्षित! महानन्दि की शुद्रा पत्नी के गर्भ से नन्द नामक पुत्र होगा। वह बड़ा बलवान् होगा। महानन्दि ‘महापद्म’ नामक निधि का अधिपति होगा। इसीलिये लोग उसे ‘महापद्म’ भी कहेंगे। वह क्षत्रिय राजाओं के विनाश का कारण बनेगा। तभी से राजा लोग प्रायः शूद्र और अधार्मिक हो जायेंगे। महापद्म पृथ्वी पर एकच्छत्र शासक होगा। उसके शासन का उल्लंघन कोई भी नहीं कर सकेगा। क्षत्रियों के विनाश में हेतु होने के की दृष्टि से तो उसे दूसरा परशुराम ही समझना चाहिये। उसके सुमाल्य आदि आठ पुत्र होंगे। वे सभी राजा होंगे और सौ वर्ष तक इस पृथ्वी का उपभोग करेंगे। कौटिल्य, वात्स्यायन तथा चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध एक ब्राह्मण विश्वविख्यात नन्द और उनके सुमाल्य आदि आठ पुत्रों का नाश कर डालेगा। उनका नाश हो जाने पर कलियुग में मौर्यवंशी नरपति पृथ्वी का राज्य करेंगे। वही ब्राह्मण पहले-पहल चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा के पद पर अभिषिक्त करेगा। चन्द्रगुप्त का पुत्र होगा वारिसार और वारिसार का अशोकवर्द्धन। अशोकवर्द्धन का पुत्र होगा सुयश। सुयश का संगत, संगत का शालिशूक और शालिशूक का सोमशर्मा। शोमशर्मा का शतधन्वा और शतधन्वा का पुत्र बृहद्रथ होगा।

कुरुवंशविभूषण परीक्षित! मौर्यवंश के ये दस[1] नरपति कलियुग में एक सौ सैंतीस वर्ष तक पृथ्वी का उपभोग करेंगे। बृहद्रथ का सेनापति होगा पुष्यमित्र शुंग। वह अपने स्वामी को मारकर स्वयं राजा बन बैठेगा। पुष्यमित्र का अग्निमित्र और अग्निमित्र का सुज्येष्ठ होगा। सुज्येष्ठ का वसुमित्र, वसुमित्र का भ्रद्रक और भद्रक का पुलिन्द, पुलिन्द का घोष और घोष का पुत्र होगा वज्रमित्र। वज्रमित्र का भागवत और भागवत का पुत्र होगा देवभूमि। शुंगवंश के ये दस नरपति एक सौ बारह वर्ष तक पृथ्वी का पालन करेंगे। परीक्षित! शुंगवंशी नरपतियों का राज्य काल समाप्त होने पर यह पृथ्वी कण्ववंशी नरपतियों के हाथ में चली जायेगी। कण्ववंशी नरपति अपने पूर्ववर्ती राजाओं की अपेक्षा कम गुण वाले होंगे। शुंगवंश का अन्तिम नरपति देवभूमि बड़ा ही लम्पट होगा। उसे उसका मन्त्री कण्ववंशी वसुदेव मार डालेगा और अपने बुद्धिबल से स्वयं राज्य प्राप्त करेगा। वसुदेव का पुत्र होगा भूमित्र, भूमित्र का नारायण और नारायण का सुशर्मा। सुशर्मा बड़ा यशस्वी होगा।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मौर्यों की संख्या चन्द्र को मिलाकर नौ ही होती है। विष्णुपुराणादि में चन्द्रगुप्त से पाँचवें दशरथ नाम के एक और मौर्य वंशी राजा का उल्लेख मिलता है। उसी को लेकर यहाँ दस संख्या समझनी चाहिये।

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