दशम स्कन्ध: चतुःषष्टितम अध्याय (पूर्वार्ध)
श्रीमद्भागवत महापुराण: दशम स्कन्ध: चतुःषष्टितम अध्याय श्लोक 41-44 का हिन्दी अनुवाद
यदि ब्राह्मण के धन का अपहरण हो जाये तो वह अपहृत धन उस अपहरण करने वाले को-अनजान में उसके द्वारा यह अपराध हुआ हो तो भी-अधःपतन के गड्ढे में डाल देता है। जैसे ब्राह्मण की गाय ने अनजान में उसे लेने वाले राजा नृग को नरक में डाल दिया था। परीक्षित! समस्त लोकों को पवित्र करने वाले भगवान श्रीकृष्ण द्वारकावासियों को इस प्रकार उपदेश देकर अपने महल में चले गये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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