चतुर्थ स्कन्ध: त्रिंश अध्याय
श्रीमद्भागवत महापुराण: चतुर्थ स्कन्ध: त्रिंश अध्यायः श्लोक 48-51 का हिन्दी अनुवाद
इन्हीं दक्ष ने चाक्षुष मन्वन्तर आने पर, जब कालक्रम से पूर्वसर्ग नष्ट हो गया, भगवान् की प्रेरणा से इच्छानुसार नवीन प्रजा उत्पन्न की। इन्होंने जन्म लेते ही अपनी कान्ति से समस्त तेजस्वियों का तेज छीन लिया। ये कर्म करने में बड़े दक्ष (कुशल) थे, इसी से इनका नाम ‘दक्ष’ हुआ। इन्हें ब्रह्मा जी ने प्रजापतियो के नायक के पद पर अभिषिक्त कर सृष्टि की रक्षा के लिये नियुक्त किया और इन्होंने मरीचि आदि दूसरे प्रजापतियों को अपने-अपने कार्य में नियुक्त किया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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