दशम स्कन्ध: षोडश अध्याय (पूर्वार्ध)
श्रीमद्भागवत महापुराण: दशम स्कन्ध: षोडश अध्याय: श्लोक 60-67 का हिन्दी अनुवाद
श्री शुकदेव जी कहते हैं - भगवान श्रीकृष्ण की एक-एक लीला अद्भुत है। उनकी ऐसी आज्ञा पाकर कालिय नाग और उसकी पत्नियों ने आनन्द से भरकर बड़े आदर से उनकी पूजा की। उन्होंने दिव्य वस्त्र, पुष्पमाला, मणि, बहुमूल्य आभूषण, दिव्य गन्ध, चन्दन और अति उत्तम कमलों की माला से जगत के स्वामी गरुडध्वज भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया। इसके बाद बड़े प्रेम और आनन्द से उनकी परिक्रमा की, वन्दना की और उनसे अनुमति ली। तब अपनी पत्नियों, पुत्रों और बन्धु-बान्धवों के साथ रमणक द्वीप की, जो समुद्र में सर्पों के रहने का एक स्थान है, यात्रा की। लीला-मनुष्य भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से यमुना जी का जल केवल विषहीन ही नहीं, बल्कि उसी समय अमृत के समान मधुर हो गया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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