दशम स्कन्ध: षष्टितम अध्याय (पूर्वार्ध)
श्रीमद्भागवत महापुराण: दशम स्कन्ध: षष्टितम अध्याय श्लोक 56-59 का हिन्दी अनुवाद
श्रीशुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित! जगदीश्वर भगवान श्रीकृष्ण आत्माराम हैं। वे जब मनुष्यों की-सी लीला कर रहे हैं, तब उसमें दाम्पत्य-प्रेम को बढ़ाने वाले विनोद भरे वार्तालाप भी करते हैं और इस प्रकार लक्ष्मीरूपिणी रुक्मिणी जी के साथ विहार करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण समस्त जगत् को शिक्षा देने वाले और सर्वव्यापक हैं। वे इसी प्रकार दूसरी पत्नियों के महलों में भी गृहस्थों के समान रहते और गृहस्थोचित धर्म का पालन करते थे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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