महाभारत के पर्वआदि पर्व | सभा पर्व | वन पर्व | विराट पर्व | उद्योग पर्व | भीष्म पर्व | द्रोण पर्व | कर्ण पर्व | शल्य पर्व | सौप्तिक पर्व | स्त्री पर्व | शान्ति पर्व | अनुशासन पर्व | आश्वमेधिक पर्व | आश्रमवासिक पर्व | मौसल पर्व | महाप्रास्थानिक पर्व | स्वर्गारोहण पर्व |
स्वर्गारोहण पर्व में कुल 5 अध्याय हैं। इस पर्व के अन्त में महाभारत की श्रवण विधि तथा महाभारत का माहात्म्य वर्णित है। इस पर्व के प्रथम अध्याय में स्वर्ग में नारद के साथ युधिष्ठिर का संवाद और द्वितीय अध्याय में देवदूत द्वारा युधिष्ठिर को नरक दर्शन और वहाँ भाइयों की चीख-पुकार सुनकर युधिष्ठिर का वहीं रहने का निश्चय वर्णित है। तृतीय अध्याय में इन्द्र और धर्म द्वारा युधिष्ठिर को सांत्वना प्रदान की जाती है। युधिष्ठिर शरीर त्यागकर स्वर्गलोक चले जाते हैं। चतुर्थ अध्याय में युधिष्ठिर दिव्य लोक में श्री कृष्ण और अर्जुन से मिलते हैं। पंचम अध्याय में वहीं भीष्म आदि स्वजन भी अपने पूर्व स्वरूप में मिलते हैं। तत्पश्चात महाभारत का उपसंहार वर्णित है।
- स्वर्गारोहण
इंद्र युधिष्ठिर को स्वर्ग ले गए। वहाँ उन्होंने सभी कौरवों को देखा,पर अपने किसी भाई को नहीं पाया। उन्होंने अपने भाइयों और द्रौपदी को घोर नरक में पड़े देखा। युधिष्ठिर ने कहा कि मैं भी इन्हीं के साथ नरक में रहूँगा। उसी समय धर्मराज तथा इंद्र वहाँ आए। उनके आते ही सारा दृश्य बदल गया। धर्मराज ने युधिष्ठिर से कहा कि ऐसा हमने तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए किया था। युधिष्ठिर ने अपने सभी भाइयों को प्रसन्न मुद्रा में देखा। उन्होंने मानव शरीर छोड़कर दैवी शरीर प्राप्त किया।