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− | मैं एकादश रुद्रों में [[शंकर]]<ref>[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता | + | मैं एकादश रुद्रों में [[शंकर]]<ref>[[पुराण|पुराणों]] के अनुसार भगवान शिव ही समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता है।</ref> हूँ और [[यक्ष]] तथा राक्षसों में धन का स्वामी [[कुबेर]]<ref>[[पृथ्वी]] पर समस्त कोष के अधिपति कुबेर माने गये हैं।</ref> हूँ। मैं आठ [[वसु|वसुओं]] में [[अग्नि देवता|अग्नि]]<ref>अग्निदेवता [[यज्ञ]] के प्रधान अंग हैं। ये सर्वत्र [[प्रकाश]] करने वाले एवं सभी पुरुषार्थों को प्रदान करने वाले हैं।</ref> हूँ और शिखर वाले [[पर्वत|पर्वतों]] में [[सुमेरु पर्वत]] हूँ ॥23॥ |
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01:18, 24 मार्च 2018 के समय का अवतरण
गीता अध्याय-10 श्लोक-23 / Gita Chapter-10 Verse-23
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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