पिनाक का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। यह भगवान शिव का धनुष था, जिसके कारण उन्हें 'पिनाकी' भी कहते हैं। इस धनुष को श्रीरामचन्द्र ने सीता के स्वयंवर के समय जनकपुर में तोड़ा था।[1][2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वायुपुराण 25.2;45.108;101.317; रामचरितमानस दोहा 249-261
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 307 |
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