हल

हल महाभारत के अनुसार श्रीकृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलराम का आयुध था। यह वास्तविक हल ही था।[1]

  • 'महाभारत' में बलराम के कई नाम बताये गए हैं, जिनमें से उनका एक नाम 'हली' भी मिलता है। हल धारण करने के कारण ही उनका नाम 'हली' हुआ था।
  • 'विष्णुपुराण से ज्ञात होता है कि बलराम ने कौरवों पर क्रोध करके उनके नगर हस्तिनापुर को अपने हल की नोंक से खींचकर गंगा में गिराना चाहा था, किंतु पीछे उन्हें क्षमा कर दिया; किन्तु उसके पश्चात हस्तिनापुर गंगा की ओर कुछ झुका हुआ-सा प्रतीत होने लगा था-
'बलदेवस्ततोगत्वा नगरं नागसाहृयम् बाह्योपवनमध्येऽभून्नविवेशतत्पुरम्।[2]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारतकोश डिस्कवरी पुस्तकालय |संपादन: संजीव प्रसाद 'परमहंस' |पृष्ठ संख्या: 132 |
  2. विष्णुपुराण 5,35,8

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