आचार्य जैमिनि महर्षि कृष्णद्वैपायन व्यासदेव के शिष्य थे। उनसे आपने सामवेद और महाभारत की शिक्षा पायी थी।
- जैमिनि ही प्रसिद्ध पूर्व मीमांसा दर्शन के रचयिता हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने 'भारतसंहिता' की भी रचना की थी, जो 'जैमिनी भारत' के नाम से प्रसिद्ध है।
- द्रोण के पुत्रों से इन्होंने 'मार्कण्डेय पुराण' सुना था।
- जैमिनि के पुत्र का नाम सुमन्तु और पौत्र का नाम सत्त्वान था। इन तीनों ने ही वेद की एक-एक संहिता बनायी थी। हिरण्यनाभ, पैष्पंजि और अवन्त्य नाम के इनके तीन शिष्यों ने उन संहिताओं का अध्ययन किया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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