गीता 11:46

गीता अध्याय-11 श्लोक-46 / Gita Chapter-11 Verse-46


किरीटिनं गदिनं चक्रहस्त
मिच्छामि त्वां द्रष्टुमहं तथैव ।
तेनैव रूपेण चतुर्भुजेन
सहस्रबाहो भव विश्वमूर्ते ॥46॥



मैं वैसे ही आपको मुकुट धारण किये हुए तथा गदा और चक्र हाथ में लिये हुए देखना चाहता हूँ, इसलिये हे विश्व स्वरूप! हे सहस्रबाहो[1]! आप उसी चतुर्भुज रूप से प्रकट होइये। ॥46॥

I wish to see you adorned in the same way with a diadem on the head, and holding a mace and a discus in two of your hands. O Lord with a thousand arms, O universal being, appear again in the same four-armed form. (46)


तथा = वैसे; त्वाम् = आपको; किरीटिनम् = मुकुट धारणकिए हुए(तथा); गदिनम् चक्रहस्तम् = गदा और चक्र हाथ में लिये हुए; द्रष्टुम् = देखना; इच्छामि = चाहता हूं; (अतJ = इसलिये; विश्वमूर्ते = हे विश्वस्वरूप; तेन = उस; भव = होइये



अध्याय ग्यारह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-11

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अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव,सहस्रबाहो, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् कृष्ण का ही सम्बोधन है।

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