एवमेतद्यथात्थ त्वमात्मानं परमेश्वर । द्रष्टुमिच्छामि ते रूपमैश्वरं पुरुषोत्तम ॥3॥
हे परमेश्वर! आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही है; परंतु हे पुरुषोत्तम[1]! आपके ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज़ से युक्त ऐश्वर-रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ ॥3॥
Your divine form possessed of wisdom, glory, energy, strength, valour and effulgence, O best of persons! (3)
परमेश्वर = हे परमेश्वर; त्वम् = आप; आत्मानम् = अपने को; यथा =जैसा; आत्थ = कहते हो; एतत् = यह(ठीक); (एव) = ही है(परन्तु); पुरुषोत्तम = हे पुरुषोत्तम; ऐश्वरम् = ज्ञान ऐश्वर्य शक्ति बल वीर्य और तेजयुक्त; रूपम् = रूपको(प्रत्यक्ष); द्रष्टुम् = देखना; इच्छामि = चाहता हूँ