विरह-पदावली -सूरदास
राग बिलावल (सूरदास जी के शब्दों में एक गोपी कह रही है- सखी! वे मनमोहन) यदि यह निष्ठुरता प्रारम्भ करते तो कहो, ये गोकुल के लोग आज तक कैसे जीते बचे रहते ? केशी, तृणावर्त, वृषभासुर आदि किस प्रकार मरते और व्योमासुर, प्रलम्बासुर, कालियनाग तथा दावानल से श्यामसुन्दर के बिना (गोकुल को) कौन बचाता? शंखचूड़, बकासुर, पूतना, अघासुर, वरुण तथा इन्द्र कैसे (व्रज से) हटते ? (इसलिये) यदि श्यामसुन्दर इतनी निष्ठुरता पहले धारण कर लेते तो क्या (यह) व्रज रहता ? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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