विरह-पदावली -सूरदास
राग मलार (सूरदास जी के शब्दों में गोपियाँ कह रही है-) श्यामसुन्दर! (तुमने) हमारी उस समय क्यों रक्षा की? जब इन्द्र व्रज को डुबाने लगा था (हमारे ऊपर) गिरिराज को (उस समय) क्यों नहीं पटक दिया, (जिससे) अब तक संसार में हमारी नवीन एवं पुरातन यशोगाथा प्रचलित हो जाती (कि गोपियाँ श्यामसुन्दर की नित्य अनन्य प्रेमिका हैं, उनसे नित्य अभिन्न हैं), किंतु सखी! गर्ग मुनि ने जो बात कही (कि श्रीकृष्ण वसुदेव पुत्र हैं), वह कैसे झूठी हो सकती थी। (यदि यह बात हम पहले जान लेती) तो हमारी यह दशा क्यों होती (और क्यों) हमारे नेत्र रात-दिन वर्षा करते रहते ? अब हम (उनके बिना) इस प्रकार (आश्रयहीन) घूमती हैं, जैसे शहद निकाल लेने पर शहद की मक्खियाँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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