विषय सूची
अनुराग पदावली -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग धनाश्री [95] सूरदासजी के शब्दों में एक गोपी कह रही ह-अरी सखी! मेरी यह दशा सुन। जब से परम सुन्दर घनश्याम मिले हैं, तब से उनके साथ ही इस प्रकार घूमती हूँ, जैसे (उनकी) दासी बन गयी। (इतने पर भी) वे मुझे भली प्रकार दर्शन नहीं देते। (उनके) प्रत्येक अंग में कामदेव राशि-राशि हैं, बिजली से भी अधिक चंचलता है और दाँतों की चमक- (में) बहुत अधिक चकाचौंध है। (उनके) सभी अंग चमकते हैं, पीताम्बर चमकता है और मोतियों की माला भी चमकती है। मुझे तेरी शपथ, (इसे) विधाता का कर्म समझकर (उस पर मैं) अत्यन्त रोष करती हूँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पद | पद संख्या |