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अनुराग पदावली -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग बिलावल [81] सूरदासजी के शब्दों में श्रीराधा कह रही ह-सुनो, सखियों! मैं तुमसे पूछती हूँ, (तुममें से) किसी ने श्यामसुन्दर को देखा है? (यदि देखा है तो बताओ, उनका) शरीर कैसा है, किस रंग का दिखायी पड़ता है? किस प्रकार का वेश सजाये हैं? मुकुट कैसा है? घुँघराले केश कैसे हैं? मनोहर ललाट तथा सुन्दर भौंहें अच्छी (सुन्दर) हैं? नेत्र कैसे हैं? नाक कैसी है? और उन प्रियतम के कानों में कुण्डल कैसे हैं? ओठ कैसे हैं? दाँतों की कान्ति कैसी है? और (उनकी) मनोहर ठुड्डी कैसी? चित्त को चुराने वाली है? किसी की ओर देखकर वे किस प्रकार हँसते हैं तथा किस प्रकार (आकर्षक भंगी से) मुख को सिकोड़ते हैं। वक्षःस्थल कैसा है? माला कैसी है? भुजाएँ कैसी शोभा देती हैं? हाथ कैसे हैं? उनमें कंगन कैसे हैं? और उँगलियाँ कैसी सुशोभित हैं? श्याम की रोमावली कैसी है? सुना जाता है कि उनकी नाभि तथा कटि सुन्दर हैं; उस पर सोने की करधनी कैसी है? काछनी कैसी है? यही मैं अपने मन में सोचती रहती हूँ। (उनकी) जाँघें कैसी हैं? दोनों पिंडलियाँ कैसी हैं? तुम जानती हो कि उनके चरण तथा नख कैसे हैं? श्यामसुन्दर के अंग-प्रत्यंग की शोभा तुमने देखी है या केवल अनुमान करती हो? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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