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अनुराग पदावली -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग बिहागरौ [14] गोपियाँ कह रही हैं- ‘हम व्रज नारियाँ धन्य हैं; यह दूध धन्य, दही धन्य और मक्खन धन्य है, जिसे हम परसती हैं और श्रीगिरिधरलाल आरोगते हैं। यह व्रज धन्य, वे दिन और रात्रि धन्य और (ये) गोकुल में प्रकट होने वाले वनमाली धन्य हैं (हम सबके) पूर्वजन्म के पुण्य धन्य, श्रीनन्दजी धन्य तथा माता यशोदा धन्य हैं। (ये) गोपाल अत्यन्त धन्य, वृन्दावन धन्य और यह अत्यन्त सुखदायिनी भूमि धन्य है, यह (दधि- ) दान धन्य और उसे माँगने वाले ये श्यामसुन्दर धन्य।’ सूरदासजी कहते हैं- यहाँ के तृण, वन, वृक्ष एवं उनकी शाखा- (सभी) धन्य हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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