विषय सूची
अनुराग पदावली -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग काफी[261] सूरदासजी के शब्दों में कोई गोपी कह रही ह-(सखी! मेरे) नेत्र (मोहन के) रूप में ऐसे उलझे हैं कि पलकें गिराना भी भूले रहते हैं; रात-दिन (उनका) संग नहीं छोड़ते, बार-बार आँसू भरकर ढुलकाते रहते हैं। (उन श्यामसुन्दर के) ओठ लाल-लाल हैं, दन्तावली बिजली के समान चकाचौंध करती चमक रही है और चमेली के इत्र से सुवासित घुँघराली कुटिल अलकें (निराली) शोभा दे रही हैं। श्याम रंग लिये चम्पा की कली के समान नासिका तथा समुद्र के समान विशाल नेत्र हैं, कानों में कुण्डल पहने हैं। वहीं ये (नेत्र) लुब्ध होकर रह रहे हैं, कुछ समझ नहीं पड़ता; श्यामसुन्दर ने मोहिनी (जादू) डालकर (इन्हें) विवश कर दिया है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पद | पद संख्या |