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- कृष्णाग्रज
- कृष्णानंददास
- कृष्णानन्ददास
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 2
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 3
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- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 5
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 6
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणी जी का प्रभु में अनन्य प्रेम 7
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणीजी का प्रभु में अनन्य प्रेम 2
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- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणीजी का प्रभु में अनन्य प्रेम 6
- कृष्णाप्रिया श्रीरुक्मिणीजी का प्रभु में अनन्य प्रेम 7
- कृष्णावतार
- कृष्णावतार पर वैज्ञानिक दृष्टि (गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी)
- कृष्णावतार पर वैज्ञानिक दृष्टि -गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी
- कृष्णाष्टमी
- कृष्णौजा
- कृष्न
- कृष्न कृपा सबही तैं न्यारी -सूरदास
- कृष्न कृपा सबही तैं न्यारी 2 -सूरदास
- कृष्ण
- कृष्णस्तु भगवान्स्वयम -कृष्णजीवन विशारद
- कृष्णा (नदी)
- कृष्णात्रेय
- कृष्ण–कृष्ण कहते मैं तो कृष्ण हो गया! -रमेशचन्द्र त्रिपाठी
- केकय
- केकय प्रदेश
- केकयराजा की श्रेष्ठता का विस्तृत वर्णन
- केकयराजा तथा राक्षस का उपख्यान
- केतिक दूरि गयौ रथ माई -सूरदास
- केतु
- केतु (ऋषभदेव पुत्र)
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- केतुमान (कौरव पक्षीय योद्धा)
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- केवट लीला (नौका विहार)
- केवल तुम्हें पुकारूँ प्रियतम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- केवल यही चाहतीं-मैं बस -हनुमान प्रसाद पोद्दार
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- केशकुण्ड
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- केसरी
- केहि मारग मै जाउं सखी री -सूरदास
- केहिं मारग मैं जाउँ सखी री -सूरदास
- कै तुमसौ छूटै लरि ऊधौ -सूरदास
- कै रति रँग थकी थिर ह्वै -पद्माकर
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- कैवल
- कैसी दिव्य तुम्हारी ममता -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे किसे बताऊँ अब मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे कै भरिहै री दिन सावन के -सूरदास
- कैसे तुमको धीरज दूँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे तुम्हें दिखाऊँ, हे बृषभानुलली! -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे बनै जमुना-न्हान -सूरदास
- कैसे लूँ मैं नाम तुम्हारा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे वह दुखिया माने -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसे हैं नंद-सुवन कन्हाई -सूरदास
- कैसे हैं नंद-सुवन कन्हाहई -सूरदास
- कैसै कै ल्याऊँ हौ तौ मरम न पाऊँ स्याम -सूरदास
- कैसै जीवै ऊधौ हरि परदेस रहे -सूरदास
- कैसै टेब मिटति मन मोहन आँगन -सूरदास
- कैसै मिले पिय स्याम सँघाती -सूरदास
- कैसै रहै दरस बिनु देखे -सूरदास
- कैसै हमकौ ब्रजहि पठावत -सूरदास
- कैसैं करि आवत स्याम इती -सूरदास
- कैसैं कै भरिहैं री -सूरदास
- कैसैं कै ल्याऊँ हौं तौ मरम न पाऊँ स्याम -सूरदास
- कैसैं जल भरन मैं जाउं -सूरदास
- कैसैं जिऐ बदन बिनु देखें -सूरदास
- कैसैं पुरी जरी कपिराइ -सूरदास
- कैसैं प्रान रहे सुत-बिछुरत -सूरदास
- कैसैं बनै जमुना-न्हान -सूरदास
- कैसैं बिनय सुनावौं, स्वामी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- कैसैं मिलौं स्यामसुंदर कौं -सूरदास
- कैसैं री यह हरि करिहै -सूरदास
- कैसैं हमकौं ब्रजहिं पठावत -सूरदास
- को अपराधी मो सम आन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- को इनकी परतीति बखाने -सूरदास
- को को न तरयौ हरि-नाम लिएं -सूरदास
- को को न तरयौ हरि नाम लिएँ -सूरदास
- को गुरु कहौ की मौन छाँड़ौ -सूरदास
- को गोपाल कहाँ के बासी -सूरदास
- को जानै हरि की चतुराई -सूरदास
- को जानै हरि चरित तुम्हारे -सूरदास
- को पतियाइ तुम्हारी सौहनि -सूरदास
- को माता को पिता हमारै -सूरदास
- को समुझावै मेरे नैननि -सूरदास
- कोंकण
- कोई कछू कहे मन लागा -मीराँबाई
- कोई कहियौ रे प्रभु आवन की -मीराँबाई
- कोई कहियौरे प्रभु आवन की -मीराँबाई
- कोई दिन याद करोगे -मीराँबाई
- कोई दिन याद करोगे रमता राम अतीत -मीराँबाई
- कोई स्याम मनोहर ल्योरी -मीराँबाई
- कोउ कहुं देखे री नंदलाल -सूरदास
- कोउ पहुंचे कोउ मारग माहीं -सूरदास
- कोउ ब्रज बाँचत नाहिंन पाँती -सूरदास
- कोउ माई आवत है तनु स्याम -सूरदास
- कोउ माई बरजै -सूरदास
- कोउ माई बरजै री -सूरदास
- कोउ माई बरजै री इन मोरनि -सूरदास
- कोउ माई बरजै री या चंदहिं -सूरदास
- कोउ माई बोलि लेहु गोपालहिं -सूरदास
- कोउ माई मधुबन तै आयौ -सूरदास
- कोऊ कहे रे मधुप ग्यान उलटो ले आयौ 3 -नंददास
- कोऊ चतुर नारि जो होइ -सूरदास
- कोऊ सुनत न बात हमारी -सूरदास
- कोकनद
- कोकनद (अनुचर)
- कोकनद (बहुविकल्पी)
- कोकबक
- कोकमुख
- कोकामुखतीर्थ
- कोकिल
- कोकिल बोली, बन बन फूले -सूरदास
- कोकिल बोली, वन वन फूले -सूरदास
- कोकिल हरि कौ बोल -सूरदास
- कोकिल हरि कौ बोल सुनाउ -सूरदास
- कोकिलक
- कोकिलावन
- कोटरक
- कोटरा
- कोटरा (बहुविकल्पी)
- कोटरा (मातृका)
- कोटवन