कृष्णांक
व्रज परिचय
इससे आगे नन्दरायजी की गायों का खिडक, नन्दगांव तथा नन्दगांव की कदमखण्डी हैं। नन्दगांव नन्दबाबा का धाम है, इसे नन्दिग्राम भी कहते हैं। यह बरसाने से पांच मील दूर है। यहाँ भी छोटी सी पहाड़ी है जिसके ऊपर नन्दजी का बहुत बड़ा मन्दिर है। गांव पहाड़ से नीचे बसता है। यहाँ रूपराम कटोरे के महल तथा मनसादेवी, नृसिंह, गोपीनाथ, नृत्यगोपाल, गिरिधारी, नन्दनन्दन, राधामोहन और यशोदाननदन के मन्दिर हैं। नन्दीश्वर भी स्थान है। कुछ आगे मानसरोवर है जहाँ श्रीकृष्णजी गायों को पानी पिलाया करते थे। फिर आगे गौकुण्ड, हंससरोवर तथा सारसवन हैं जहाँ भगवान ने पुष्पचयन करके राधाजी की बेनी गूँथी थी। इससे आगे पूर्व की ओर कुण्डलवन है। यहाँ भगवान के कुण्डल खो गये थे जिन्हें गोपियों ने ढूँढकर भगवान को पहनाया था। इसके पास ही संकत है, यहाँ विमला देवी और विमलकुण्ड है, करहलावन है, जहाँ कृष्णकुण्ड है। वृषभानुजी का उपवन है। इससे आगे भगवान ने दधिलीला की थी। धन्या गोकुलकन्या वयमिह मन्यामहे जगति । पास ही एक पिसायो गांव है जहाँ श्रीकृष्ण को प्यास लगने पर राधाजी ने सखियों सहित पानी लाकर पिलाया था। इससे आगे खदिरवन है जहाँ गायों का खिडक है और उससे आगे बकासुर-वध-स्थान, सिद्धवन, कुमरवन, जावक-उपवन (जहाँ जावकवट है), कोकिलावन है। कोकिलावन के पास कोकिला कुण्ड, ललिताकूप तथा राधिकाकुंज है जहाँ भगवान ने होली की लीला की है। इसके पीछे छोटी-बड़ी बैठन हैं जिसे कोटवन कहते हैं और जहाँ गायों का खिडक है। वहाँ कृष्ण कुण्ड और बलभद्रकुण्ड तथा बलभद्रजी का मन्दिर है। यहाँ गोदोहन करके मटकों में भरकर दूध नन्दगांव भेजा जाता थ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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