श्रीकृष्णांक
श्रीकृष्ण-स्मरण की महत्ता
श्रीशुकदेवजी राजा परीक्षित् से कहते हैं- सकृन्मन: कृष्णपदारविन्दयो- जो मनुष्य केवल एक बार श्री कृष्ण के गुणों में प्रेम करने वाले अपने चित्त को श्री कृष्ण के चरण-कमलों मे लगा देते हैं, वे पापों से छूट जाते हैं, फिर उन्हें पाश हाथ में लिये हुए यमदूतों के दर्शन स्वप्न में भी नहीं होते। अविस्मृति: कृष्णपदारविन्दयो: श्री कृष्ण के चरण-कमलों का स्मरण सदा बना रहे तो उसी से पापों का नाश, कल्याण की प्राप्ति , अन्तःकरण की शुद्धि, परमात्मा की भक्ति और वैराग्य युक्त ज्ञान-विज्ञान की प्राप्ति आप ही हो जाति है। पुंसां कलिकृतान्दोषान्द्रव्यदेशात्मसंभवान्। भगवान पुरुषोत्तम श्री कृष्ण जब चित्त मे विराजते हैं, तब उनके प्रभाव से कलियुग के सारे पाप और द्रव्य, देश तथा आत्मा के दोष नष्ट हो जाते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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